बिल्थरारोड, बलिया। घाघरा नदी के जलस्तर में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी ने लोगों की नींद उड़ा दी है। लाल निशान से ऊपर मचल रही घाघरा की लहरें प्रलयंकारी नजर आने लगी है।
घाघरा नदी की धारा का एकाएक रुख बदलने से तटवर्ती रिहायशी इलाकों में बाढ़ का क्रम तेज हो गया है। क्षेत्र में सैकड़ों एकड़ फसल जलमग्न होकर वर्वाद होने के कगार पर है।केंद्रीय जल आयोग के अनुसार बुधवार को शाम चार बजे नदी का जलस्तर 65.270 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान 64.010 से 1.026 मीटर ऊपर है।
बता दें कि 1998 में आई भीषण बाढ़ में केंद्रीय जल आयोग के अनुसार डीएसपी हेड पर जलस्तर 66.000 मीटर था, जो खतरे के निशान से दो मीटर ऊपर था। इधर, एक सप्ताह से तेजी से बढ़ती घाघरा नदी का रूख देख तटवर्ती क्षेत्रों के लोग अनहोनी के खौफ से भयभीत हैं। इलाके के टंगुनिया, हाहानाला, राजभर बस्ती तक फैले टीएस बंधे के समीप चैनपुर गुलौरा, तुर्तीपार से लगायत हल्दीरामपुर में दहशत है।
चैनपुर गुलौरा के प्रधान सियाराम यादव के आवास तक नदी का पानी कई फुट तक लगा हुआ है। टीएस बंधा पर सतह से छः फिट तक पानी पहुंच गया है। तुर्तीपार गांव के माली बस्ती और मल्लाह बस्ती तथा काली माता मंदिर पर भी घाघरा का पानी पहुंच गया है और बस्तियों में कटाव हो रहा है। बता दें कि देवरिया जनपद के बरहज, पैना, मईल, देवासियां क्षेत्र का किनारा पकड़ते हुए बहने वाली घाघरा नदी का रुख लगभग दो किलोमीटर दक्षिण की तरफ मुड़ गई, जो बलिया जिले के गुलौरा, तुर्तीपार, खैरा, तुर्तीपार, मुजौना के क्षेत्र को काटते हुए तेजी से बढ़ रही है। अभी तक सैकड़ों किसानों के हजारों एकड़ भूमि नदी में समाहित हो चुकी है।
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